Monthly Archives: अप्रैल 2012
खन खन सिक्कों जैसा।
सबसे ऊपर अब भी संडास है।
धनिया उदास है, पानी की तलाश है
कपड़े पर दाग है
न उठता झाग है
न बनता साग है
रहता कच्चा भात है, धनिया उदास है।
गोबर खाद है, ऑर्गेनिक नाम है
बड़का दाम है
खेती नाकाम है
बढ़ गया काम है
फोकट दाम है, गोबर खाद है।
धनिया उदास है, नीति बकवास है
सरकार नाग है
सिमटा लाभ है
घटती माँग है
पूर्ति अभिलाष है, धनिया उदास है।
धनिया बहलाने को, गोबर दुलराने को
धनिया सहलाने को, बैठक आज खास है
तेज सबकी साँस है
धनिया सु-दास है
गोबर की आस है
थरिया उपास है
करने को बकवास है, बैठक आज खास है।
हवा में बास है कि मन में आस है
समझ नहीं आता समझता खास है
बउरा गया आम
भरता उसाँस है
उदास इजलास है
कुत्तों ने उतार ली, चादर चाम है
चीर फाड़ चट्ट का, सुन्दर नाम है।
बात बताने को, इशारे समझाने को
लंगोटी पहनाने को, नंगई भुलवाने को
कविया संडास है
हगता भँड़ास है
कमरा गन्धास है
बाहर फुलवास है
पागलपंथी छोड़ कर, पहुँचा विभाग है
बैठक जमी बकवास, लग गया दिमाग है।
तो अंत में क्या बचा?
तो अंत में क्या रहा?
एक नाम दुइ काम, धनिया अब भी उदास है।
गोबर खाद है
बकवास है
बैठक खास है
सरकार नाग है
सिमटा लाभ है
घटती माँग है।
दिमाग है तो मत कहो कि अब भी
हाँ, अब भी – थरिया उपास है
वरना फिर से फिर फिर
इजलास है
बैठक आज खास है
तेज सबकी साँस है
गन्धास है
सबसे ऊपर अब भी संडास है।
कितना बड़ा??
बड़ा आदमी
सूरज पर थूक दिया
चाँद की परछाई को,
पाँवों से कुचल दिया।
अहमक था वह,
बड़ा आदमी बन गया।
एक काम रचना i.e. An Erotica
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चित्रों पर उनके फोटोग्राफर का कॉपीराइट है। इन पर न तो कोई मेरा अधिकार है और न ही स्वामित्त्व। ये यहाँ केवल रचना को सवर्णी रूप देने के लिये प्रयुक्त किये गये हैं।