!

मित्र! 
तरुगन्ध आह्वान 
ओस भीगे पत्ते
नंगे पाँव
लुप्त चरम चुर
ढूँढ़ें 
गन्ध स्रोत
पुन: बालपन
वारि नासिका
शीतल मलयानिल
घास पुहुप चुन 
सूँघे 
छींके 
छूटे कुछ हाथ
सगुन सा 
कौन आए 
ममता छूटी
घर पर 
सुर सुर
माताएँ 
खीझ 
रीझ
आयु
स्सब भूलीं 
याद दिलाएँ
लोट पोट 
श्वान शिशु 
दुलार 
डाँट फटकार 
पिता प्यार 
लुटाएँ
बीत गई 
रीत गईं 
धुँधली आखें 
मनुहार
मनाएँ 
मित्र! 
तरुगन्ध आह्वान 
झूलें 
समय झूलना 
डार डार 
पात पात 
जीवन 
ओल्हा पाती 
पात पात 
हिल जाएँ 
खिल जाएँ 
चलो ! 

!

मित्र! 
तरुगन्ध आह्वान 
ओस भीगे पत्ते
नंगे पाँव
लुप्त चरम चुर
ढूँढ़ें 
गन्ध स्रोत
पुन: बालपन
वारि नासिका
शीतल मलयानिल
घास पुहुप चुन 
सूँघे 
छींके 
छूटे कुछ हाथ
सगुन सा 
कौन आए 
ममता छूटी
घर पर 
सुर सुर
माताएँ 
खीझ 
रीझ
आयु
स्सब भूलीं 
याद दिलाएँ
लोट पोट 
श्वान शिशु 
दुलार 
डाँट फटकार 
पिता प्यार 
लुटाएँ
बीत गई 
रीत गईं 
धुँधली आखें 
मनुहार
मनाएँ 
मित्र! 
तरुगन्ध आह्वान 
झूलें 
समय झूलना 
डार डार 
पात पात 
जीवन 
ओल्हा पाती 
पात पात 
हिल जाएँ 
खिल जाएँ 
चलो ! 

ज्ञान साधना में पायरिया और खजुहट – सब लगने का खेल

एक महात्मा थे। साधना में एक ऐसा दौर आया कि दातून करना, नहाना सब छोड़ दिए क्यों कि उन्हें लगा कि इनसे जीवहत्या होती है।
जब पायरिया और खजुहट से त्रस्त हुए कुछ समय बीत गया तो एक दिन लगा कि दातून और नहाना छोड़ने से भी एक जीव को कष्ट हो रहा है, शायद मृत्यु भी हो जाय। खजुहट से कुत्ते मरते भी देखे थे और देह, मुँह से आती दुर्गन्ध से  भक्त जनों के कष्ट भी।
ज्ञान अनुसन्धान की आगे की यात्रा उन्हों ने दातून और स्नान के बाद प्रारम्भ की लेकिन जीवन भर खजुआते रहे और बात करते गन्धाते रहे…

_______________________
पुरानी बोधकथाएँ:
(1) एक ज़ेन कथा
(2) एक देहाती बोध कथा
(3) एक ठो कुत्ता रहा
(4) गेट

डीहवारा की उपलब्धि से आगे…


डीहवारा की उपलब्धि से आगे … 

नहीं रे! उपलब्धि की नहीं चाह मुझे
प्रेमतापस हूँ, भटकता रहा युगों से
उसे ढूँढ़ता जो मेरे जैसा हो और 
जिससे मैं अपनी बात कह सकूँ। 

तुम्हें देखा तो लगा जैसे सब पाया
चोट छील नहीं, वे सिर्फ मेरी बाते हैं 
जो मैंने की हैं – तुमसे जो अपने लगे।

तुम गढ़ा गए,उकेरा गए उन बातों से 
तो ज़रा पूछो अपने प्रस्तर अंत: से
प्रेमिका जो अब सामने आई है 
क्या वही नहीं जिसे तुमने चाहा था? 
जिसे सँजोए रखा इतने दिनों से 
आंधियां सहते
तूफान तोड़ते
मेघ रीते 
घाम जलते 
चन्द्र रमते! 
तुम्हारा तप सफल हुआ 
जैसे मुझ तापस का। 
जन्मों के पुण्यकर्म फलते हैं 
तब मिलते हैं दीवाने दो
तब दिखता है ऐसा कुछ। 
उत्सव मनाओ – 
तप नष्ट नहीं, यह सिद्धि है
हमारी उपलब्धि है,
जो मिल गई अनायास –   
प्रेम में ऐसे ही तो होता है।
नहीं, ऐसा लगता है
भटकते युग याद कहाँ रहते हैं! 

डीहवारा की उपलब्धि से आगे…


डीहवारा की उपलब्धि से आगे … 

नहीं रे! उपलब्धि की नहीं चाह मुझे
प्रेमतापस हूँ, भटकता रहा युगों से
उसे ढूँढ़ता जो मेरे जैसा हो और 
जिससे मैं अपनी बात कह सकूँ। 

तुम्हें देखा तो लगा जैसे सब पाया
चोट छील नहीं, वे सिर्फ मेरी बाते हैं 
जो मैंने की हैं – तुमसे जो अपने लगे।

तुम गढ़ा गए,उकेरा गए उन बातों से 
तो ज़रा पूछो अपने प्रस्तर अंत: से
प्रेमिका जो अब सामने आई है 
क्या वही नहीं जिसे तुमने चाहा था? 
जिसे सँजोए रखा इतने दिनों से 
आंधियां सहते
तूफान तोड़ते
मेघ रीते 
घाम जलते 
चन्द्र रमते! 
तुम्हारा तप सफल हुआ 
जैसे मुझ तापस का। 
जन्मों के पुण्यकर्म फलते हैं 
तब मिलते हैं दीवाने दो
तब दिखता है ऐसा कुछ। 
उत्सव मनाओ – 
तप नष्ट नहीं, यह सिद्धि है
हमारी उपलब्धि है,
जो मिल गई अनायास –   
प्रेम में ऐसे ही तो होता है।
नहीं, ऐसा लगता है
भटकते युग याद कहाँ रहते हैं! 

मौन कौन?

कवियों के गीत 
प्रियतम रूप। 
सराहोगी? 
मेरा मौन! 

धरा ने बुलाया
और सिमट गई।
पुकार पुकार 
थका आसमान
फिर बरस पड़ा। 
बोल सकता हूँ,
बरस नहीं सकता।
तुम कम से कम 
पूछ तो लेना – 
आया कौन?

काँच की खिड़कियाँ 
अब एकतरफा हैं
तुम आर पार देख सको 
मैं नहीं।
क्यों गीत गाऊँ? 
मैं स्वयं तो मधुर 
पर तुम्हारे लिए 
बस हिलते होठ 
मौन।

रेस्ट्रॉं में रश है 
कशमकश है। 
जिस टेबल पर 
तनहाई है
रात घिर आई है।
सर सर छुवन 
चटकी है अगन 
कपड़ों में।
बैठने पर 
न पूछा करो मुझसे –  
सिंथेटिक कौन? 

वह खिलखिल 
वह अदा 
हँसना बेबात 
सुबकना  
बिना बात। 
चुप रहा बहुत 
जब बोलने लगूँ 
वैसी ही रहना।
न न्यौतना – 
मौन।

मौन कौन?

कवियों के गीत 
प्रियतम रूप। 
सराहोगी? 
मेरा मौन! 

धरा ने बुलाया
और सिमट गई।
पुकार पुकार 
थका आसमान
फिर बरस पड़ा। 
बोल सकता हूँ,
बरस नहीं सकता।
तुम कम से कम 
पूछ तो लेना – 
आया कौन?

काँच की खिड़कियाँ 
अब एकतरफा हैं
तुम आर पार देख सको 
मैं नहीं।
क्यों गीत गाऊँ? 
मैं स्वयं तो मधुर 
पर तुम्हारे लिए 
बस हिलते होठ 
मौन।

रेस्ट्रॉं में रश है 
कशमकश है। 
जिस टेबल पर 
तनहाई है
रात घिर आई है।
सर सर छुवन 
चटकी है अगन 
कपड़ों में।
बैठने पर 
न पूछा करो मुझसे –  
सिंथेटिक कौन? 

वह खिलखिल 
वह अदा 
हँसना बेबात 
सुबकना  
बिना बात। 
चुप रहा बहुत 
जब बोलने लगूँ 
वैसी ही रहना।
न न्यौतना – 
मौन।

रमेश उवाच – 1

रमेश जी मेरे मित्र हैं। वह फाइनेंस स्ट्रीम में हैं और ग़जब के ज़िन्दादिल! उनसे मिलने के बाद यह पूर्वग्रह टूट गया कि फाइनेंस की पढ़ाई के बाद मनुष्य़ नीरस हो जाता है। जो फोटो लगाया है उसमें वह अपने सुपुत्र के जन्मदिन पर जादू के ट्रिक दिखा रहे हैं।
वैसे अभी ऐसा मनुष्य़ मानव संसाधन (एच आर) विभाग में मिलना शेष है जिससे यह साबित हो सके कि मानव संसाधन वालों में ‘मानव’ भी होता है। 🙂
खैर! आते हैं मेन बात पर। रमेश जी समय समय पर कुछ कुछ भेजते रहते हैं। जरूरी नहीं कि उनका ही लिखा हो लेकिन महत्त्वपूर्ण यह है कि साझा करते हैं। जो ताजी खेप आई है उसे आप से शेयर कर रहा हूँ। अनुवाद स्वयं किया है।

ramesh

‘U adore someone;
U marry someone else.
The one u marry
becomes ur wife or husband
And the one u adored sometimes
becomes the password of ur email id!’
प्यार किसी से और शादी किसी और से।
जिससे शादी वह पति या पत्नी।
जिससे कभी प्यार किया था, वह ई मेल का पासवर्ड।
There’s only one perfect child in the world & every mother has it.
There’s only one perfect wife in the world & every neighbour has it.
संसार में एक ही परफेक्ट बच्चा होता है और वह हर माँ के पास होता है। परफेक्ट पत्नी भी एक ही होती है जो हर पड़ोसी के पास होती है।
Husband & wife are like liver and kidney. Husband is the liver & wife the kidney.
If the liver fails, the kidney fails. If the kidney fails, the liver manages with other kidney.
पति-पत्नी – लीवर और किडनी जैसे होते हैं। पति – लीवर और पत्नी – किडनी।
अगर लीवर फेल होता है तो किडनी फेल हो जाती है। अगर किडनी फेल होती है तो लीवर दूसरी किडनी से काम चला लेता है।
Generation Next Motto: Na hum shaadi karenge, na apne bachchon ko karne denge.
अगली पीढ़ी का आदर्श वाक्य: न हम शादी करेंगे और न अपने बच्चों को करने देंगे। 
What’s the diff between Dava & Daru?
Dava is like a girlfriend, that comes with an expiry date and
Daru is like a wife, Jitni purani hogi utna sir chad ke bolegi.
दवा और दारू में क्या अंतर है?
दवा गर्लफ्रेंड की तरह होती है जिसकी एक ‘एक्सपायरी डेट’ होती है।
दारू पत्नी की तरह होती है, जितनी पुरानी होगी उतना सिर चढ़ कर बोलेगी।
The Japanese have allegedly produced a camera that has such a fast shutter speed,
it can take a picture of a woman with her mouth shut!
सुनने में आया है कि जापानियों ने एक इतनी फास्ट शटर स्पीड वाला कैमरा बनाया है कि उससे किसी औरत का फोटो तब लिया जा सकता है जब उसका मुँह बन्द हो।
Three dreams of a man:
To be as handsome as his mother thinks.
To be as rich as his child believes.
To have as many women as his wife suspects…
पुरुष के तीन स्वप्न:
उतना हैंडसम होना जितना उसकी माँ सोचती है।
उतना धनी होना जितना उसका बच्चा समझता है।
उतनी औरतों से सम्बन्ध होना जितना उसकी पत्नी शक करती है …