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मित्र! 
तरुगन्ध आह्वान 
ओस भीगे पत्ते
नंगे पाँव
लुप्त चरम चुर
ढूँढ़ें 
गन्ध स्रोत
पुन: बालपन
वारि नासिका
शीतल मलयानिल
घास पुहुप चुन 
सूँघे 
छींके 
छूटे कुछ हाथ
सगुन सा 
कौन आए 
ममता छूटी
घर पर 
सुर सुर
माताएँ 
खीझ 
रीझ
आयु
स्सब भूलीं 
याद दिलाएँ
लोट पोट 
श्वान शिशु 
दुलार 
डाँट फटकार 
पिता प्यार 
लुटाएँ
बीत गई 
रीत गईं 
धुँधली आखें 
मनुहार
मनाएँ 
मित्र! 
तरुगन्ध आह्वान 
झूलें 
समय झूलना 
डार डार 
पात पात 
जीवन 
ओल्हा पाती 
पात पात 
हिल जाएँ 
खिल जाएँ 
चलो ! 

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