बात अकेली सी

बहुत हुए गुनाह बेखुदी में,अब क़यामत का आगाज़ हो
पढें अपनी अपनी हम तुम,जब शर्मनाक कोई बात हो।

6 thoughts on “बात अकेली सी

Leave a reply to Unknown जवाब रद्द करें