सेत मेत Posted on नवम्बर 23, 2011 by Girijesh Rao पिघलन बाहर उफनी देह, क्लेद अश्रु और स्वेद। पिघलन भीतर शीतोष्ण दाह समय निर्वेद। भीतर बाहर केवल खेद भेंट सेत मेत। Advertisements Share this:TwitterFacebookLike this:Like लोड हो रहा है... Related
उफनी देह चाहे पैसे में हो या सेतमेत, आकर्षक लगती तो है। वैसे वह सब आकर्षक लगता है जो अपने पास नहीं है! Reply ↓
अभिनन्दन पौरुष !
उफनी देह चाहे पैसे में हो या सेतमेत, आकर्षक लगती तो है।
वैसे वह सब आकर्षक लगता है जो अपने पास नहीं है!