आज ‘लंठई’ पर लिखने का मन था । लेकिन बहुत दिनों से ‘कविताएँ और कवि भी…’ पर कुछ नया न आने से सुधी जन दु:खी थे। इसलिए वहाँ के लिए लिखना प्रारम्भ किया तो बहाव कुछ और ही हो गया ।
गम्भीरता और हास्य को एकइच साधना मेरे लिए कठिन है। सो वहाँ का लिंक दे रहा हँ। पढ़ें और टिप्पियाएँ।
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